Thursday 23 October 2014

शुभ दीवाली



8 बज चुके थे| यह पूजा का शुभ समय था और पंडित जी भी पधार चुके थे| सभी लोग अपने नए कपड़ों में खूब जॅंच रहे थे| फिर पूजा आरंभ हूई ओर सभी लोग पूजा की चौकी के सामने हाथ जोड़ कर बैठ गये| बीती दीवाली पर पंडित जी के मन्त्र
पढ़ने के अनुसार राहुल के दादा जी ने पूजा की थी| इस बार राहुल के पापा पंडित जी का हाथ बटा रहे थे| शायद अगली बार राहुल ही लक्ष्मी जी को पूजेगा| खैर वो सभ छोड़िए| पूजा की चौकी पर लक्ष्मी जी, सरस्वती जी, गणेश जी की तस्वीरें मौजूद थी| चौकी के दोनो ओर गन्ने पहरा दिए हुए थे, वैसे उन्हे पवित्रता का प्रतीक माना जाता है| पूजा आरंभ हुई गणेश जी के पूजन के साथ| सबसे पहले उन्हे जल से नहलाया गया, फिर मंत्र के अनुसार उन्हे वस्त्र पहनाए गये, टीका लगाया गया, फूल चडाए  गये ओर अंत में नैवैद्य के रूप में मोदक ओर सिक्के गणेश जी की तस्वीर के सामने रखे गये| इसी तरह वरुण देव ओर फिर नवग्रह की पूजा की गयी| लक्ष्मी जी ओर सरस्वती जी की पूजा के समय सारे चाँदी के सिक्को को नहलाया गया, 4 कलम ओर एक डायरी को सरस्वती जी के रूप मे पूजा गया, पंडित जी ने डायरी के पहले पन्ने पर स्वास्तिक का चिन्ह भी सजाया| फिर सभी खड़े हुए और कपूर ओर घी में डूबी 5 बातियों की रोशनी में आरती गाई| पंडित जी को दक्षिणा के साथ विदा करने के बाद सभी ने अपने से बड़ों के पैर छुए, स्मार्ट्फोन से तस्वीरें लीं गयी ओर बच्चों को तोहफे दिए गये| फिर सभी ने मिठाइयाँ खाईं ओर घूमने निकल गयेवैसे इस बार फटाके जलाने का मन नही था |


-- वैभव

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